गरुड़पुराण के अनुसार किसी मरे हुए व्यक्ति की वस्तु का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?

गरुड़पुराण के अनुसार किसी मरे हुए व्यक्ति की वस्तु का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद भी मृतक की आत्मा संसार का मोह नहीं छोड़ पाती है। आत्मा किसी न किसी रास्ते अपने परिवार से जुड़ना चाहती है।

मृतक के कपड़ों के माध्यम से आत्मा को परिवार की ओर खींचा जा सकता है, इस स्थिति में मृतक की आत्मा को मोक्ष प्राप्त नहीं होता है।

मृतक के कपड़े घर में रखने से घर में दुःख और बीमारियाँ पैदा हो जाती है, मृतक के कपड़े पहनने के कारण व्यक्ति उदास रहता है। किसी की मृत्यु के बाद उसके वस्त्र दान कर देने चाहिए।

गरुड़पुराण के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने आभूषणों से गहरा रिश्ता रखता है। मरणोपरांत उस व्यक्ति के आभूषणों को नहीं पहनना चाहिए। इससे घर में धन की कमी होती जाती है।

मृत व्यक्ति का चश्मा, पेय पदार्थ, छड़ी इत्यादि का दान आवश्यक रूप से करना चाहिए। क्योंकि परिवार का इन चीजों से मोह; मृतक का मोक्ष असम्भव बना देता है।

गरुड़पुराण के अनुसार परिवार के किसी भी सदस्य को मृत व्यक्ति की घड़ी का उपयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मृतक की घड़ी का उपयोग करने पर घर में कलह रहती है।